फैक्ट चेक: राम मंदिर में जाति विशेष की एंट्री होगी बैन! जानिए वायरल पोस्ट की सच्चाई
- 22 जनवरी को ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
- मंदिर में प्रवेश को लेकर वायरल हो रहा दावा
- पड़ताल में पाया गया फर्जी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला का प्राण-प्रतिष्ठा होगी। भव्य राम मंदिर के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई बड़े चेहरे शामिल होंगे। इस आयोजन को लेकर करीब एक महीने पहले से तैयारियां शुरू हो चुकी है। आयोजन को भव्य बनाने के लिए श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट सहित कई हिंदू संगठन बड़े स्तर पर तैयारियां कर रहे हैं। पूरे देश के हिंदू समाज के लोगों में इस खास दिन को लेकर विशेष उत्साह है। इस बीच सोशल मीडिया पर राम मंदिर में होने जा रहे इस समारोह को लेकर अलग-अलग दावों के साथ कई पोस्ट वायरल हो रही हैं। ऐसी ही एक पोस्ट पिछले कुछ दिनों से तेजी से वायरल हो रही है।
दावा - वायरल पोस्ट में दी जा रही जानकारी का स्रोत हिंदू युवा वाहिनी को बताते हुए दावा किया जा रहा है कि राम मंदिर में जाति विशेष का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए सतविंदर सिंह कौर नाम के एक फेसबुक यूजर ने लिखा, "राम मंदिर अयोध्या में शूद्र, ओबीसी, एससी और एसटी का प्रवेश निषेध रहेगा! हिन्दू युवा वाहिनी।"
पड़ताल - वायरल पोस्ट का सच जानने के लिए हमारी टीम ने अपनी पड़ताल शुरू की। सबसे पहले हमने गूगल ओपन सर्च की मदद से जानकारी जुटाने की कोशिश की। सर्च में हमें किसी भी प्रमुख न्यूज वेबसाइट पर जाति विशेष के मंदिर में प्रवेश करने पर प्रतिबंध को लेकर कोई भी खबर नहीं मिली। किसी भी वेबसाइट पर हिंदू युवा वाहिनी की तरफ से ऐसी किसी स्टेटमेंट की जानकारी नहीं मिली।
इसके बाद हमने हिंदू युवा वाहिनी नाम के संगठन के बारे में जानने के लिए सर्च किया। सर्च रिजल्ट में कई प्रमुख न्यूज वेबसाइट पर इस संगठन से जुड़ी खबर मिली। आज तक की वेबसाइट पर 3 अगस्त 2022 को पब्लिश हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिसके मुताबिक 3 अगस्त को ही इस संगठन को खत्म करने का एलान किया गया था। रिपोर्ट में बताया गया कि, "हिंदू युवा वाहनी खुद को एक सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन बताता है। इसकी मूल विचारधारा हिंदुत्व और राष्ट्रवाद है। हिंदू युवा वाहिनी की वेबसाइट के मुताबिक वह हिंदू समाज के एकीकरण के लिए काम करता है। इसके लिए वह समाज में छुआ-छूत, ऊंच-नीच की भावना को मिटाना चाहता है।" रिपोर्ट के मुताबिक, "योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद संगठन की भूमिका सूबे में थोड़ी कम हुई थी और अब उन्होंने खुद इसे समाप्त करने का ऐलान कर दिया है।"
पड़ताल करने पर हमारी टीम ने इस वायरल पोस्ट में किए गए दावे को गलत पाया है। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने साल 2002 में इस संगठन की स्थापना की थी और 3 अगस्त 2022 को संगठन को खत्म करने का ऐलान किया था। इस लिहाज से जब संगठन अस्तित्व में ही नहीं है तो किसी तरह की सूचना कैसे जारी कर सकता है। कुल मिलाकर वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है। गलत जानकारी फैलाने के उद्देश्य से फर्जी पोस्ट को जानबूझकर वायरल किया जा रहा है।